अररिया (राज टाईम्स). बिहार विकास युवा मोर्चा के अध्यक्ष सह आरटीआई एक्टिविस्ट प्रसेनजीत कृष्ण ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग बिहार सरकार के सचिव और विभागीय मंत्री को आवेदन भेजकर जिला आईटी विभाग से जुड़े एक चौकाने वाला का बड़ा खुलासा और बड़ी लापरवाही को उजागर किया है.
श्री कृष्ण ने आवेदन के माध्यम से बताया है कि सरकार डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने हेतु विभाग और मंत्रालय को हजारों करोड़ों का बजट देती है. ताकि सरकार और सरकारी तंत्र का कार्य पद्धति तेज गति एंव पारदर्शिता से हो और आम जनता को तरह तरह के छोटे बड़े कार्य हेतु सरकारी दफ्तर का चक्कर ना लगाना पड़े. साथ ही आम जनता भी सरकार और सरकारी तंत्र से अपनी बात, समस्या या मांग को आसानी से ऑनरिकार्ड रख सके.
प्रसेनजीत कृष्ण ने बताया की इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश और राज्य की सरकार डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने में कोई कमी नहीं कर रही है. लेकिन इस डिजिटल क्रांति को रफ्तार देने के बजाय कुछ अधिकारी इसका कब्र खोदने में भी कोई कसर नही छोड़ रही है.
उन्होंने बताया कि यह कहने की वजह यह है कि अररिया जिलाधिकारी के सरकारी ईमेल आईडी dm-araria.bih@nic.in पर कोरोना लॉकडाउन की वजह से कुछ शिक़ायत पत्र ईमेल से भेजे थे. जिस पर वर्तमान समय तक कोई भी कार्यवाही होते नही देख हमने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रपत्र 'क' दाखिल कर ईमेल से भेजे गए आवेदन पत्र पर कृत कार्यवाही के संम्बध में जानकारी मांगा.उन्होंने कहा हैरत करने वाली बात यह है कि जिलाधिकारी सामान्य प्रशाखा के द्वारा पत्र 1066 दिनांक 17.06.2020 भेजकर मुझे बताया गया है की बिवियुमो कार्यालय से जो आवेदन ईमेल किये है उनके संबध में जिलाधिकारी कार्यालय को कोई जानकारी नही है. कृष्ण ने कहा कि एक जिलाधिकारी का सरकारी ईमेल आईडी जिसपर मुख्यमंत्री कार्यालय से भी ईमेल किया जाता है उसको ना तो देखा जाता है ना ही उस पर संज्ञान लिया जाता है. यह बड़ी लापरवाही नही तो फिर क्या है?
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में ईमेल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराने के उपरांत कई मामले में उक्त ईमेल को जिलाधिकारी अररिया के इसी ईमेल आईडी (dm-araria.bih@nic.in) पर फॉरवर्ड किया गया है. चुकि मुख्यमंत्री कार्यालय से जो ईमेल फॉरवर्ड किया जाता है उसमें शिक़ायतकर्ता का ईमेल को भी CC में डाला जाता है इसकी वजह से यह जानकारी मिल जाती है की सीएमओ से उक्त शिकायत पत्र को किस अधिकारी/ विभाग को भेजा गया है. लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय अररिया के द्वारा जारी पत्र से यह तो स्पष्ट हो गया कि डीएम अररिया के सरकारी ईमेल पर जितने भी ईमेल आ रहे हैं उनका ना तो कोई रिकार्ड है और ना ही कोई कार्यवाही होती है.
प्रसेनजीत कृष्ण ने कहा कि बिहार के सीएमओ से भेजे जाने वाले ईमेल को अररिया जिला में कितना तरजीह मिल रहा है यह समझने की बात है. उन्होंने प्रश्न पूछते हुए कहा कि क्या यह सरकारी तंत्र और सरकार का मजाक नही है? आखिर जिला के सरकारी आईटी टीम और विभाग क्या कर रही है? क्यों आईटी टीम को बहाल किया गया है और क्यों उनको बेवजह वेतन दिया जा रहा है? खाली बैठकर फेसबुक और व्हाट्सएप चैट में आईटी कर्मी मगसुल रहते हैं. ऐसे में डिजिटलाइजेशन क्रांति कैसे संभव होगा?
श्री कृष्ण ने जिला के सरकारी वेबसाइट araria.nic.in की ही स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसमे कई अशुध्दियाँ है. डेटाबेस और सम्पर्क नम्बर में जो कर्मी 3 साल पूर्व रिटायर्ड कर चुके है उनका फोन नम्बर वेबसाइट से मिलता है. किसी भी विभाग के अधिकारी और उनके सरकारी सम्पर्क नम्बर, ईमेल आईडी या फिर नोटिस बोर्ड सही सही अपडेट नही मिलता है.
मोर्चाध्यक्ष श्री कृष्ण ने कहा कि जिला के डीएम-एसपी का नाम और फोटो के अलावा वेबसाइट पर कभी कुछ भी विधिवत नही मिलता है. आईटी मंत्रालय के सचिव और विभागीय मंत्री सुशील मोदी को पत्र भेजकर मांग किया गया कि इन बिंदुओं की जांच और अररिया डीएम व अन्य अधिकारी के ईमेल पर सीएमओ से ही भेजे ईमेल का रिकॉर्ड सहित उस पर कृत कार्यवाही से जुड़ी जानकारी की जांच एंव इस तरह की लापरवाही के जिम्मेदार पदाधिकारी पर विधिसम्मत कार्यवाही किये जाने की मांग की है.
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