पटना। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारियों के लिए आयोजित तीन-सप्ताहीय विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन दशरथ माँझी श्रम नियोजन अध्ययन संस्थान, पटना में सम्पन्न हुआ।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन द्वारा हुआ, जिसका उद्घाटन अपर मुख्य सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, श्रीमती एन. विजयलक्ष्मी एवं विभाग के सचिव श्री प्रणव कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया।
अपने संबोधन में श्रीमती विजयलक्ष्मी ने सभी जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि यह हर्ष का विषय है कि अब राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों की सांस्कृतिक प्रतिभाएं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकेंगी। उन्होंने लोक परंपरा और शास्त्रीय कलाओं के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया और आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक विरासत हस्तांतरित करने की प्रेरणा दी।
विभाग के सचिव श्री प्रणव कुमार ने पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि तीन सप्ताह की गहन प्रशिक्षण अवधि के बाद निश्चित रूप से उनके ज्ञान में व्यापक वृद्धि हुई होगी, जो जिला स्तर पर विभागीय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में सहायक सिद्ध होगी।
समारोह में सभी जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारियों को प्रमाण पत्र एवं मोमेंटो प्रदान किए गए। प्रशिक्षुओं द्वारा समूहों में प्रशिक्षण के दौरान सीखी गई बातों का प्रस्तुतीकरण पीपीटी के माध्यम से किया गया। मुंगेर की सुश्री सुकन्या ने "कलाओं के माध्यम से युवाओं को जोड़ना", पटना की सुश्री कीर्ति आलोक ने "बदलते परिवेश में संग्रहालय की भूमिका", दरभंगा के श्री चंदन ने "फिल्मों के माध्यम से सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास", सुश्री रिचा वर्मा ने "बिहार की लोक संगीत: संरक्षण से नवाचार तक" और श्री श्याम ने "हर घर एक कला" विषयों पर प्रभावी प्रस्तुतियाँ दीं।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्य निदेशक श्रीमती रुबी ने भी पदाधिकारियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अब यह प्रशिक्षित अधिकारी आत्मविश्वास के साथ जिले में विभागीय कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करेंगे।
गौरतलब है की यह प्रशिक्षण 19 मई से 06 जून 2025 तक चला। इसका उद्देश्य बिहार के विभिन्न जिलों के जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारियों को प्रशासनिक, सांस्कृतिक एवं तकनीकी दक्षताओं से सुसज्जित करना है।
अधिकारियों को विभागीय योजनाओं, कलाओं के संरक्षण, प्रशासनिक जिम्मेदारियों तथा सांस्कृतिक नेतृत्व के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी गई।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (ठरऊ), ऐउउ कोलकाता, ककफठर नासिक, संग्रहालय निदेशालय, एवं अन्य प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान, कार्यशालाएं तथा संवाद सत्र आयोजित किए गए।
मुजफ्फरपुर की जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी सुश्री सुष्मिता ट्रेनिंग के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए बताती है इस ट्रेनिंग ने हमें आत्मविश्वास से भर दिया है तथा विशेष होने का अनुभव कराया है। पूरे देश से विशेषज्ञ हमें पढ़ने के लिए आए उनके अनुभवों से हमें बहुत लाभ हुआ है। समापन अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन बिहार संगीत नाटक अकादमी के सचिव श्री अनिल कुमार सिन्हा द्वारा प्रस्तुत किया गया।
विभाग से आंतरिक वित्तीय सलाहकार श्री राणा सुजीत कुमार टुनटुन, विशेष कार्य पदाधिकारी सुश्री कहकशाँ, बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के फिल्म कंसल्टेंट श्री अरविंद रंजन दास, खेल विभाग की सहायक निदेशक सह जनसंपर्क पदाधिकारी नूपुर झा के साथ ही बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मीगण पूरे कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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