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Bihar-मृत्युभोज के नाम पर किया जाने वाला आयोजन विकृत मानसिकता का परिचायक :चंदन सिंह




अररिया(राज टाइम्स)

 मृत्युभोज समाज में कोढ़ के समान है । मृत्युभोज जैसी कुरीतियों की वजह से समाज में संवेदनाओं का अर्थ बदलता जा रहा है । परिवार में किसी प्रिय व्यक्ति के देहावसान के बाद मृत्युभोज के नाम पर किया जाने वाला आयोजन विकृत मानसिकता का परिचायक है । यह कुप्रथा सदियों से चली आ रही है । इसका बहिष्कार जरुरी है । उक्त बातें फारबिसगंज प्रखंड के तिरसकुंड स्थित उमेश नारायण पांडेय की सत्तर वर्षीय मां उर्मिला देवी का आकस्मिक निधन के बाद मृत्युभोज को लेकर हुई बैठक में भारत रक्षा मंच के जिला महामंत्री चन्दन कुमार सिंह ने कही । बैठक में एक तरफ मौत पर मातम तो दूसरी तरफ मृत्युभोज पर परिचर्चा चल रही थी । मां की मृत्यु के बाद गमगीन हालातों में मृत्युभोज की जिम्मेदारी उनके पुत्र उमेश नारायण पांडेय पर थी । जो आर्थिक रूप से गरीब है । परंपरा, सामाजिक रीति रिवाज एवं समाज में सम्मान बरकरार रखने की विवशता ने मृतक के पुत्र उमेश नारायण पांडेय को मृत्युभोज को लेकर बैठक बुलाने पर विवश कर दिया ।
     मृत्युभोज, दहेज प्रथा, नशा, बाल विवाह, ओझा - गुणी, तंत्र मंत्र एवं तमाम तरह के अंधविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ समय समय पर जन जागरुकता अभियान चलाने वाले ठीलामोहन के सामाजिक कार्यकर्ता चन्दन कुमार सिंह ने उमेश नारायण पांडेय के दरवाजे पर चल रही बैठक में उपस्थित लोगों के बीच होने वाले मृत्युभोज - परिचर्चा में उपस्थित लोगों से इस तरह का आयोजन का सार्वजनिक रूप से बहिष्कार करने की बातें कही । चन्दन ने कहा कि मृत्युभोज समाज के लिए अभिशाप है । समाज के लोग पीड़ित परिवार पर दबाव बना कर बेवजह खर्च करवाने के लिए इस तरह का आयोजन कराते हैं । जो कानूनी एवं मानवीय दृष्टिकोण से भी गलत है । चन्दन सिंह ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से राजस्थान सरकार की तरह बिहार में इस कुप्रथा को मिटाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
 इस मृत्युभोज - परिचर्चा में पंडितों में श्यामानंद झा,  गोपीनाथ झा, गंगानंद पांडेय, युवा नेता मुन्ना पांडेय, पूर्व पैक्स चेयरमैन राजीव ठाकुर, धीरेन्द्र ठाकुर, वार्ड सदस्य प्रतिनिधि प्रमोद पासवान, भरत ठाकुर, जितेन्द्र पांडेय, सुनील पांडेय, नागेन्द्र ठाकुर, सुधीर पांडेय आदि समेत दर्जनों लोग मौजूद थे ।

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