बड़ा सवाल- वारंट के बाद मधेपुरा से लड़ा चुनाव, जिस थाने में था केस दर्ज वहाँ की पुलिस ने दी थी प्रचार के दौरान सुरक्षा?
सरकार की आलोचना हो गई है तेज
पटना (राज टाइम्स)। जाप
सुप्रीमो सह पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद सूबे में
सियासी तूफान खडा हो गया है। पुलिसिया कार्रवाई की टाइमिंग पर अब सवाल उठ रहे हैं।
बताया जाता है कि फरवरी 2020 में पहला वारंट जारी होने
के 8 माह बाद अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हुआ था। जिसमें
मधेपुरा संसदीय क्षेत्र से पूर्व सांसद पप्पू यादव ने चुनाव लड़ा था। पप्पू यादव के
खिलाफ जिस मुरलीगंज थाने में केस दर्ज था वहां की पुलिस ने प्रचार के दौरान उनके सुरक्षा
की कमान संभाली थी तो फिर उस समय पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
विधानसभा चुनाव के दौरान वे प्रचार करने
मधेपुरा आए थे,
लेकिन तब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। शायद गिरफ्तारी से
पूर्व सांसद को चुनाव में सहानुभूति का लाभ मिल जाता, इसलिए
पुलिस उनकी सभाओं में मौजूद थी, लेकिन गिरफ्तार नहीं किया। पप्पू
यादव अपने प्रत्याशी ई. प्रभाष की चुनावी सभा को संबोधित करने उसी मुरलीगंज भी गए
थे, जहां के थाने में उनके खिलाफ केस भी दर्ज था। फिर भी
उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। ऐसे में इस समय जब वे लागातार कोरोना पीड़ितों की
दवा से लेकर सभी तरह की मदद कर रहे हैं, इस कार्रवाई को जाप
कार्यकर्ता सहित सभी विपक्षी दल राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी
की खबर के बाद जिले में सभी जगह जाप कार्यक्रताओं ने विरोध जताया।
पहले
से गिरफ्तारी की योजना थी
पप्पू यादव को गिरफ्तार करने की पटकथा पूर्व
से ही लिखी जा चुकी थी क्योकि सोमवार सुबह पूर्व सांसद पप्पू यादव सिंहेश्वर में
निजी कार्यक्रम में जाने वाले थे जिसके लिए वे रविवार रात दो बजे पटना से निकलते।
इसे देखते हुए उनके पीए ने रूट के सभी जिलों के जिलाधिकारी डीएम और पुलिस अधीक्षक को
पत्र लिखकर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी। लेकिन देर रात को उन्होंने सिंहेश्वर
आने का कार्यक्रम रद्द कर दिया। इसके बावजूद भी प्रशासन लगातार उन पर नजर रखे हुए
थी। पुलिस-प्रशासन को आशंका थी कि वे बिना सुरक्षा के भी शार्टकट रास्ते से
सिंहेश्वर के लिए निकल जाए। सुबह भी पुलिस चौकन्ना थी। गम्हरिया में मधेपुरा-सुपौल
जिला की सीमा चेकपोस्ट पर खुद एसपी भी लाव-लश्कर के साथ सुबह में पहुंचे थे।
मंगलवार को जब पटना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद मधेपुरा जिला से
उदाकिशुनगंज के एसडीपीओ सतीश कुमार के नेतृत्व में कुमारखंड थाने की पुलिस को वहां
भेजा गया।
जनता
अब पूरी तरह पप्पू के पक्ष में हैं क्योकि
·
जहाँ कोरोना के प्रभारी मंत्री तक क्षेत्र
में जाने से कतराते थे,
तब अस्पताल से लेकर श्मशान तक अकेले पप्पू यादव और उनकी टीम दिख रही
थी
·
जब बिहार में ऑक्सीजन के अभाव में मौतों का
आंकड़ा बढ़ने लगा तो पप्पू यादव ने पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूडी के आवास पर छिपाकर
रखे गये एम्बुलेंस का मुद्दा उछाल दिया
·
जहां कहीं भी महामारी के समय कोई दिक्कत में
होता था,
वहां मसीहा के रूप में पप्पू यादव पहुंच जाते थे
·
पटना की बाढ़ में अकेले पप्पू यादव ने जितना किया
वैसा किसी भी सियासी पार्टी ने नहीं किया
जेल में रहना पड़ सकता है
पूर्व सांसद को
दरअसल, 1989 में मुरलीगंज थाना में
रामकुमार यादव के अपहरण के आरोप में पप्पू यादव के खिलाफ कांड संख्या- 09
/89 दर्ज कराया था। सूत्रों की मानें तो इस कांड में पप्पू यादव को
पहले जमानत मिली थी, लेकिन सुनवाई में भाग नहीं लेने की वजह
से यादव की जमानत को रद्द करते हुए उन्हें फरार घोषित कर दिया गया। जानकर बताते
हैं कि कोर्ट बंद है तो अभी जमानत भी आसानी से नहीं होगा। चूंकि मामला 32 वर्ष पुराना है इसलिए अब मुकदमे का निर्णय के बाद ही उन्हें राहत मिलने की
उम्मीद है।
कोई टिप्पणी नहीं