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बिहार/अररिया- जिलाधकारी महोदय के नाम आइसोलेशन वार्ड से पत्रकार आरिफ इकबाल का पैगाम

जिलाधकारी अररिया के नाम पत्रकार आरिफ इक़बाल  का खुला पत्र 

Respected Sir.

भारत सहित पूरी दुनिया पिछले कई महीनों से एक ऐसी बीमारी से जूझ रहा है जिसे हम कोरोना के नाम से जानते हैं। ये बीमारी हमारे देश के अलग अलग राज्यों व जिलों में इतनी तेजी से फैला है कि आज हमारे प्रदेश में प्रतिदिन सैंकड़ों की संख्या में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पहचान जांच के माध्यम से हो रही है। अररिया में भी ये बीमारी अब भवाया रूप ले चुका है मगर कोरोना संक्रमित लोगो के रख रखाव के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के आलोक में स्वास्थ्य विभाग अररिया की ओर से इंतजाम इतनी लचर अवस्था मे है जिस पर गहन चिंतन की जरूरत है। 

हम जानते हैं आप संक्रमित रोगियों के लिए बेहतर से बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं मगर हक़ीक़त ये है कि आपके इन प्रयासों को धरातल पर सही से नही उतारा जा रहा है। आइये आपको फारबिसगंज स्थित A.N.M कॉलेज आइसोलेशन सेंटर में कोरोना रोगियों को मिलने वाले सुविधाओं से अवगत कराते हैं जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।


एक आम जनता की आवाज़ शायद बड़े अधिकारियों तक नही पहुंचती या पहुंचने नही दी जाती है, मगर इसे संयोग कहा जाए कि मैं आम जनता के साथ एक पत्रकार भी हूँ जो इस कोरोना के चपेट में आकर पिछले 5 दिनों से फारबिसगंज के आइसोलेशन सेंटर में एडमिट हूँ, इस सेंटर पर रोगियों के लिए व्यवस्था के नाम पर खुला मज़ाक हो रहा है। जो सुविधा हमे मिलनी चाहिए वो नही मिल रही है। समय पर न डॉ दिखाई देते हैं, न दवा मिलती है, न खाने पीने का सही इंतज़ाम है। 

एक मरीज़ अपना घर बार छोड़ कर इस उम्मीद पर आता है कि सेंटर पर हमारी सही देखरेख होगी, सारा सिस्टम मौजूद है, किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए कोरोना योद्धा डॉ हमारे बीच हैं। मगर सर्, क्या डॉ की ज़िम्मेदारी और ड्यूटी किसी प्रस्तिथि से निपटने के वक़्त ही है? कोरोना रोगियों को अपने रूम से बाहर निकलने की इजाज़त नही है तो फिर क्यों नही 24 घण्टे में कम से कम एक बार डॉ या नर्स पेसेंट से हालचाल लेने उन तक पहुंचती है? दो - दो, तीन - तीन दिन हो जाते हैं न तो कोई डॉ दिखते हैं और न कोई नर्स नज़र आती है। 

एक मरीज ने बताया मैं यहाँ दो दिन से हूँ मगर अब तक कोई डॉ देखने नही आए, न किसी तरह की उन्हें कोई दवा दी गई, मैं खुद भी बुख़ार में दो दिन तक पड़ा रहा मगर कोई डॉ नही आया। ये कैसी व्यवस्था है यहां, अगर डॉ सुबह से शाम तक मे एक बार भी मरीज़ को देख लें तो मानसिक रूप से मरीज़ खुद को अच्छा महसूस करता है मगर यहाँ ऐसा लगता है जानवरों की तरह हम लोग रह रहे हैं दो वक्त खाना मिला और पड़े रहिए बेहाल अपने रूम में जबकि मुझे मालूम हुआ कि यहाँ डॉ के राउंड करने का चार्ट बना हुआ है फिर भी लापरवाही बरती जाती है।


खाने का भी बहुत बुरा हाल है, बेस्वाद खाना मरीज़ों की सेहत पर ख़राब असर डाल रहा है खाने में किसी तरह की मजबूती नही है, ले देकर दोनों टाइम दाल चावल और बिना गले सोयाबीन की सब्ज़ी, दो लुकमा खाने के बाद खाने से मुंह फेर लेने को दिल चाहता है मगर मरता क्या न करता। 

यहाँ मरीज़ों को न गर्म पानी मिलता है और न किसी तरह का काढ़ा दिया जाता है, जिस से कोरोना पेसेंट का इम्युनिटी पावर बढ़े इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए ताज़ा गर्म खाना के साथ दूसरे पौष्टिक आहार भी जरूरी है मगर यहाँ ऐसा कुछ भी नही है एक रोगी तो यहाँ तक बोल पड़ा कोरोना से कम मगर यहाँ के खानपान देख कर ज्यादा मरने का खतरा हो गया है। यहाँ समय से सिर्फ रूम की सफ़ाई और सेनेटाइजर सही से हो रहा है।

सर्, एक बार इस सेंटर पर आकर आपको यहाँ विजिट जरूर करना चाहिए और यहाँ की व्यवस्था के बारे में किसी अधिकारी के बजाए डायरेक्ट यहां के रोगियों से पूछना चाहिए। हमें उम्मीद है आपका ध्यान इस ओर जरूर जाएगा और इसे आप अपने स्तर से संज्ञान लेंगें।


धन्यवाद

आपका आरिफ इक़बाल (आइसोलेशन वार्ड से)

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