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नेपाल नागरिकता कानून के बाद हिन्दी भाषा को प्रतिबंध करने की तैयारी



नेपाल डेस्क (राज टाइम्स)

नेपाल के सर्वोच्च अदालत के द्वारा  संघीय संसद में हिन्दी भाषा बोले जाने के कारण को 15 दिनों में  लिखित जवाब देने का आदेश प्रतिनिधिसभा संसद व राष्ट्रियसभा संसद को आदेश जारी किया है ।
न्यायाधीश प्रकाशकुमार ढुङ्गाना के  एकल बेंच  के द्वारा  उक्त आदेश जारी करते हुए जवाब महान्यायाधिवक्ता के कार्यालय मार्फत लिखित जवाब पेश करने को कहा गया है। नेपाल के संसद में सांसद सरिता गिरी व
अमृता अग्रहरी के द्वारा नेपाल के द्वारा जारी किये गए नक्शे पर संसद में अपना धारणा रखी थी जिसके बाद जनता समाजवादी पार्टी ने सीमा विवाद पर बोलने को लेकर सरिता गिरी पर कारवाई तक की बात कह डाली थी वही एक सांसद के द्वारा नेपाल के संसद में भारतीय बेटी की दादागिरी नही चलने तक की बात कह डाली थी । जिसके उपरांत नेपाल में नया नागरिकता कानून लाया गया ।वही हिन्दी भाषा के बिरोध में नेपाल के दो 
अधिवक्ता केशरजङ्ग केसी व लोकेन्द्र ओली के द्वारा नेपाल के संविधान में देवनागरिक लिपि को सरकारी कार्य का भाषा प्रयोग करने व संसद में  नेपाली भाषा बोलने व इससे पहले हिन्दी भाषा में बोले गए मंतव्य के अडियो को संसद सचिवालय के अभिलेख से हटाने के लिये  सर्वोच्च अदालत में रिट  दायर किया है  ।
दायर किये गए रिट में कहा गया है की विधायक के द्वारा संघीय संसद के दोनों सदन में बोलने व कामकाज की भाषा सिर्फ नेपाली ही रखने की बात कही गयीं है ।
जारी रिट में मांग किया गया है कि इससे पहले सांसद सरिता गिरी व अमृता अग्रहरी के द्वारा बोले गए  हिन्दी भाषा संसद के अभिलेख से हटाया जाए व दोनो सदन में सिर्फ नेपाली भाषा मे बोलने का आदेश जारी किया जाए ।

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