अररिया।
पुरातत्वविद उद्धव आचार्य ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए कहा कि उत्खन स्थल के उत्तर-पूर्व में एक बहुमंजिल बड़ा भवन, इस भवन के दक्षिण में एक और भवन, उसी भवन के उत्तर पश्चिम में सेना का निवास के आकार का एक भवन, इसी भवन के कुछ पश्चिम दक्षिण में एक अन्य बहुमंजिला भवन मिला है। वहीं इन सभी चार भवन के दक्षिण में करिब दो सौ फीट की दूरी में दो तल का एक और भवन सुरक्षाकर्मी के प्रमुख व सुरक्षाकर्मी के लिए बने पाँच भवन का संरचना मिला है।
पुरातत्वविद आचार्य के अनुसार इस स्थल के मूल भवन का उत्खनन का कार्य एक वर्ष में पूरा होगा। क्योंकि जितनी गहराई तक खुदाई हो रही है, तब तक उस स्थान का ऐतिहासिकता बुद्धकाल से भी आगे का मिल रहा है। उत्खनन हो रहे क्षेत्र में पेड़ की कटाई, कीचक को मारने की मूर्ति स्थानान्तरण करने, कीचकवध स्थल के अंदर अन्य कार्य होने के कारण उत्खनन में समय लगने की बात कही है।
सातवीं बार हो रहा है उत्खन
पुरातत्व विभाग के द्वारा इससे पूर्व कीचकवध में उत्खनन 22 वर्ष पहले किया था, जिसका भी पुरातत्वविद आचार्य ने ही नेतृत्व किया था । इससे पहले विक्रम संवत 2035 में मेची बहुमुखी कैंपस के इतिहास के प्राध्यापक घनश्याम खनाल की अगुवाइ में उत्खनन हुआ था। महाभारत काल में विराट राजा के सेनापति एवं साला कीचक ने द्रौपदी का अस्तित्व लूटने का धृष्टता करने पर भीम के द्वारा इसी स्थान पर कीचक वध किया था।
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