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BIHAR/अररिया- अब नितीश राज में सुरक्षित नहीं हैं पत्रकार, सच बोलना और लिखना दोनों ही हो रहा घातक

मनीष कुमार/अररिया 

लोग कहते हैं मीडिया समाज का दर्पण है। लेकिन समाज को दर्पण दिखाना काफी महंगा पड़ा। जी हां ऐसा ही एक मामला अररिया जिला के भरगामा प्रखंड में देखने को मिला जहां पूरा भारत कोरोना महामारी के चपेट में है और लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। वही तबाही के बीच एक पत्रकार ने सच्चाई का आईना दिखाते हुए ग्रामीणों को यह बताने का प्रयत्न किया कि अब गांव कस्बे में भी कोरोना का प्रकोप बढ़ने लगा है और लोग सचेत व जागरूक होकर कोरोना की जांच कराएं। लेकिन गाँव के दबंगों ने इस बात पर क्रोधित होते हुए पत्रकार पर जानलेवा हमला कर दिया। 

बताया जा रहा है कि गांव के अंदर कोरोनाजांच के लिए टीम गई।  जांच में 103 लोगों में से 33 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले जिसको लेकर गांव के अंदर कोहराम सा मच गया। पत्रकार से गलती इतनी ही हुई कि लोगों को जागरूक करने के लिए खबर का प्रकाशन कर दिया। 

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथे स्तंभ कहा जाता है क्योंकि वह समाज का आईना है। और जब इसी आईना ने गांव के लोगों को उनकी परछाई दिखाई तो गांव के दबंगों ने पत्रकार को ही अपना दबंगई का शिकार बनाया। दबंगों ने पत्रकार से कहा कि यह खबर क्यों प्रकाशित की। तुम्हारी खबर पर गांव के अंदर प्रशासनिक चहलकदमी बढ़ गई है।इसके बाद उन्होंने पत्रकार अंकित की जमकर पिटाई कर दी और घर पर हमला कर तोड़फोड़ किया। मामले को लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों को घटना की जानकारी दी गई लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।  जिससे यह जान पड़ता है कि प्रशासन के लोग मुंह बंद कर मामला को रफा दफा करना चाहते हैं। 


बाईट- पत्रकार अंकित सिंह 



बाईट- पत्रकार की माँ

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