Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News

latest

नेपाल- नागरिकता कानून पर नेपाल सरकार के बिरुद्ध प्रदर्शन सत्ता धारी दल के सांसद का महिला अधिकार पर अभद्र टिप्पणी



रिपोर्ट@ राजेश शर्मा

इन्टरनेशनल डेस्क (राज टाइम्स). नेपाल में जारी नए नागरिकता कानून के विरोध में मधेसी राजनीतिक दलों के नेताओं के द्वारा मंगलवार को बिराटनगर में विशाल रैली निकाल कर विरोध जताया गया. प्ले कार्ड ले कर निकले हजारो की संख्या स्थानीय नागरिकों व राजनीतिक दलों के नेताओं के द्वारा सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की जा रही थी. स्थानीय मधेसी नागरिको ने सरकार के नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि नेकपा की सरकार भारत के साथ बेटी रोटी के सम्बंध को तोड़ना चाहती जो आम नागरिकों को कभी भी मान्य नही होगा.
वही इस नागरिकता क़ानून के विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा कि इस नए कानून से महिला हिंसा बढ़ेगी, क्योंकि सात वर्ष तक वह महिला शरणार्थी का जीवन जिएगी जो मान्य नही होगा. जब तक सरकार इस कानून को वापस नही लेती तब तक विरोध जारी रहेगा।

संसद में प्रतिनिधि सभा सदस्य प्रदीप यादव ने किया कानून का विरोध
मंगलवार को प्रतिनिधिसभा सदस्य प्रदीप यादव ने संसद में कहा है कि राज्य व्यवस्था समिति द्वारा पारित नागरिकता संबंधी संशोधन विधयेक मधेश की संस्कृति और पहचान के ऊपर प्रहार है। इस विधेयक को स्वीकार नहीं किया जाएगा। संसद में उन्होंने यह भी कहा है कि विधेयक के कारण भारत-नेपाल के बीच युगों युग से कायम संबंध भी ख़त्म हो सकता है।

नेपाल में सरिता गिरी बनने की इजाजत विदेशी महिला को नही
प्रमुख प्रतिपक्ष दल नेपाली कांग्रेस के नेता जितेन्द्र देव को लक्ष्य कर सत्ताधारी दल नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के नेता तथा राष्ट्रीयसभा सदस्य रामनारायण बिडारी ने संसद में कहा है कि विदेशी बहू को तत्काल नागरिकता देकर मंत्री बनाने के पक्ष में अब नेपाल नहीं है। राष्ट्रीयसभा संसद में सांसद बिडारी ने कहा कि कोई भी विदेशी नागरिक नेपाली नागरिक से शादी कर सकता हैंलेकिन उन लोगों को अंगीकृत नागरिकता देकर अब अधिक संख्या में सरिता गिरी बनाने के पक्ष में वकालत करना ठीक नहीं है।

कानून वापस नही लेने तक आंदोलन जारी रहेगा
युवा नेता अरुण सिंह ने कहा कि इस कानून का विरोध सड़क से संसद तक जारी रहेगा। इसके लिये मधेसी जनता विद्रोह करने के लिये तैयार है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार पहले से ही मधेशी को दूसरे दर्जे का नागरिक समझती थी, लेकिन इस कानून से सांस्कृतिक परिवारिक संबंध पर प्रहार है जो बर्दास्त नही किया जाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं