ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉक्टर आरएन भारती
बिहार/अररिया (राज टाइम्स)।भारती सेवा सदन ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष सह पूर्व बसपा सांसद प्रत्याशी डॉ आरएन भारती ने सोमवार को अररिया जिला के बैरगाछी चौक पर जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार द्वारा होमगार्ड के सिपाही को जेल का धमकी देना, कान पकड़ कर उठक बैठक करवाना, पांव पकड़ कर माफी भी मंगवाना जैसे अमानवीय व्यवहार से दुःखी हो कर दोनों पर बिहार सरकार से उचित कार्रवाई करने की मांग की है।
डॉ रामनारायण भारती ने मुख्यमंत्री बिहार और अररिया जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से मांग किया है कि अररिया जिला के कृषि पदाधिकारी को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त और बैरगाछी ओपी के पुलिस पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा जाये। पदाधिकारी को उम्र का भी ख्याल नहीं रहा, कम से कम सुरक्ष कर्मी का इज्जत तो किया ही जाना चाहिए था, कि वह हम से बड़े हैं और रात दिन हमारे सुरक्षा के लिए खड़े रहते हैं। ऑफिसर को कॉमन सेंस रखना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पाण्डेय जी द्वारा लाकडाउन अवधि में बनाया गया गाइड लाइन को बखूबी अंजाम देने वाले और अपने कर्तव्य को निष्ठा से निभाने वाले होमगार्ड का सिपाही को जिला पदाधिकारी द्वारा सम्मानित करने का भी मांग की है ताकि सिपाही का मनोबल ऊंचा बना रहे।
डॉ भारती ने कहा कि इस वक़्त कोराना महामारी से पूरी दुनियां लड़ रही है, मगर भारत को इस महामारी से लड़ने के साथ-साथ देश के अंदर के नकारात्मक विचार वाले अधिकारी से भी दोगुना संघर्ष करनी पड़ रही है। अररिया में एक अधिकारी के कारण शर्मनाक घटना घटी है। अपने कान पकड़कर उठ्ठक-बैठक कर रहा यह पुलिस वर्दीधारी कोई मामूली व्यक्ति नहीं, बल्कि यह देश का वह प्रहरी है, जो देश की रक्षा के लिए हमारी सेवा में दिन-रात पहरेदारी में लीन रहकर हमपर किसी भी प्रकार की आंच नहीं आने देता है। मगर ये क्या? ये कौन साहब हैं जिसके आगे सरे आम बिहार पुलिस की इज्जत को तार-तार किया जा रहा है ? आखिर इसनें ऐसा क्या अपराध कर दिया ? जिसकी वजह से इसका इतना कठोर अपमान किया जा रहा है। सवाल जितना चौकाने वाला है, मामला भी उतना ही गंभीर है।
बताते चलें कि बिहार के अररिया जिले अंतर्गत बैरगाछी थानाक्षेत्र में "लॉक डाऊन"का सख्ती से पालन करने हेतु इस पुलिस कर्मी को पुलिस कार्यालय ने यहाँ तैनात कर रखा था। इसी बीच अररिया के कृषि पदाधिकारी वहाँ से गुजर रहे थे, इस चौकीदार ने सिर्फ इतनी "गलती" की थी कि इसने कृषि अधिकारी की गाड़ी को रोककर यह पूछ लिया कि आप कौन हैं और कहाँ जा रहें हैं।बस यही बात बेचारे को महंगी पड़ गई। उसे यह सजा सरे आम दी गई। अब सरकार के आगे समस्या यह हो गयी कि, इस कोरोना महामारी से लड़ने में एक ओर तमाम डॉक्टर्स, पुलिस और अधिकारी जिसे "कोराना वारियर्स" कहा जाता है, कुछ बेवकूफों के द्वारा पिटे जा रहें हैं
तो यहाँ वीआईपी गिरी में इस कृषि पदाधिकारी ने पूरे बिहार पुलिस के प्रतिष्ठा को ही मटियामेट कर दिया, जो बहुत ही दुःखद है। अररिया जिला प्रशासन अगर इस खबर पर संज्ञान नहीं लेती है तो यह कुरीति आने वाले समय काल के लिये देश और समाज के मद्देनजर और भी घातक होगा।
रिपोर्ट- साजिद आलम

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