- इस माह में गरीबों पर और अल्लाह के राह पर खूब खर्च करें
- रमजान का प्रथम दस दिन रहमत का चल रहा अशरा, करें खूब इबादत
अररिया। मुकद्दस महीना रमजान का 8 रोजा पूरा होने को लेकर सभी रोजेदारों में काफी उत्साह है। खासकर बच्चों में भी हर्ष व्याप्त है। इस महीने में रोजा रखने व पांच वक्त की नमाज अदा करने के साथ साथ मुस्लिम समुदाय के लोग ईशा नमाज के बाद बीस रिकात तराबीह की विशेष नमाज भी अदा करने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। मुफ्ती इनामुलबारी साहब ने कहा कि माहे रमजान सब्र करने का महीना है और सब्र करने का बदला अल्लाह तबारक व तआला बेहतर बदला अता फरमाता है। रोजा अल्लाह के लिए है, इसलिए रोजा का बदला अल्लाह खुद देंगे। माहे रमजान रहमत, बरकत व फजीलत वाला महीना है। इस माह में रोजा रखने के दौरान भूख और प्यास का एहसास न हो तो रोजा रखना कैसा है।
उन्होंने कुरआन व हदीश का हवाला देते हुए कहा भूख और प्यास, गरीबी का एहसास दिलाता है कि किस तरह लोग भूख की शिद्दत को बर्दाश्त करते हैं। इस मुकद्दस माह के दरमियान रोजेदारों को इफ्तार कराने में काफी बड़ी फजीलत हासिल है और इफ्तार कराने में भाईचारगी कायम रहने के साथ-साथ अल्लाह बरकत भी अता फरमाता है। उन्होंने कहा कि माहे रमजान सब्र करने का महीना है और इस माह में किए गए एक नेकी का बदला अल्लाह सत्तर गुना अधिक देता है। इधर रोजा रखने को लेकर सभी रोजेदारों में काफी उत्साह कायम है यहां तक कि महिलाएं भी घरेलू काम-काज पूरा करने के साथ माहे रमजान के रोजे भी रखने से पीछे नहीं है।
बताया कि कुछ उजर छोड़कर बांकी सभी मुसलमान मर्द-औरत पर रोजा रखना फर्ज है। इस माह में एक रात ऐसी आती है, जो तिरासी बरस इबादत करने से अफजल है, जिसे शबे कद्र कहते हैं। इसलिए सारे मुसलमानों को शबे कद्र की रात को ताक रात में खोजना चाहिए और इस रात में खूब इबादत करते हुए अल्लाह से दुआ मगफिरत करनी चाहिए। इस पाक महीने में जहां तक हो सके सदका, फितर, जकात आदि से गरीबों और मोहताजों, खासकर पड़ोसियों व रिश्तेदारों की मदद करनी चाहिए।
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