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प्रतिबंध के वाबजूद भारत से प्याज की तथा नेपाल से चाइनीज लाइटर की हो रही तस्करी

  • रेलवे परिसर बना प्याज तस्करों का स्टॉक पॉइंट, रेल पुलिस व कस्टम है बेखबर


रेलवे परिसर में प्याज अनलोड करते वाहन। 

राज टाइम्स। जोगबनी

भारत सरकार द्वारा जारी प्याज निर्यात पर प्रतिबंध का आदेश जोगबनी सीमा पर अप्रभावी दिख रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे भारत सरकार का यह आदेश इस क्षेत्र में लागू ही नहीं है। ऐसा कहना इसलिए भी गलत नहीं होगा कि भारत में आम लोगों को प्याज कम कीमत पर उपलब्ध हो इसके लिए भारत सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के महीनों बीत गए लेकिन अवैध रूप से मुख्य नाका से प्याज को धड़ल्ले से भेजा जा रहा है। बस बदला दृश्य यह है कि अब प्याज की गाड़ी नो मेंस लैंड की जगह पर खाली न हो कर रेलवे परिसर मे खाली हो रही है तथा झोले व साईकल पर लोड कर अवैध रूप से मुख्य रास्ते से ही जाता है। जबकि इसे रोकने में कस्टम, रेल सहित अन्य एजेंसी की बेखबरी समझ से पड़े है।

बताते चलें कि भारत सरकार द्वारा 29 जून 2023  से ही चीन निर्मित लाइटर के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। प्रतिबंध लगने के बाद भारतीय क्षेत्र में जोगबनी सीमा से नेपाल से भारत खुलने वाली खिड़की के माध्यम से चाइनीज लाइटर की तस्करी भारत की ओर बड़े पैमाने पर की जा रही है।

स्टोर कर रखे गए प्याज की बोरी। 

वही नेपाल – भारत द्विपक्षीय व्यापार संधि के अनुसार एक देश से आयातित सामान सीधे दूसरे देश मे निर्यात नहीं किया जा सकता, लेकिन नेपाली व्यवसायी चीन से आयात किए गए लाइटर गोदाम से चोर रास्ते के माध्यम से सीधे भारत भेज रहे हैं जिसकी पुष्टि कही न कही दबी जुबान से ही सही नेपाल भंसार विभाग भी कर रहा है।

इस सम्बन्ध मे पूछे जाने पर नेपाल भंसार विभाग के निदेशक पुण्यविक्रम खड्का ने कहा कि किसी एक देश से आयात सामग्री को सीधे तीसरे देश भेजना गैरकानूनी है। श्री खड़का ने बताया कि कितनी सामग्री आई है सिर्फ इसकी जानकारी ही भंसार को होती है, उस सामग्री को आयात करने वाला किसे बेच रहा है इसकी जानकारी नहीं होती है। किसी अन्य देश से आयातित सामग्री को नेपाली उत्पाद बता कर दूसरे देश निर्यात नहीं किया जा सकता है। खुली सीमा के कारण भारत में होने वाली प्रत्येक आर्थिक गतिविधि का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर नेपाल पर भी होता है। पूर्व में सुपारी, मटर, छोहारा, मरीच जैसी समग्री किसी अन्य देश से आयात कर अवैध रूप से भारत में भेजा जाता था।




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