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• झखाड़गढ पंचायत के वार्ड नौ में पीसीसी सड़क का निर्माण अंतिम चरण में फिर भी बोर्ड नदारद, लाल बालू से ढंककर लोकल सेंड का प्रयोग

  •  जिस अभिकर्ता की अपनी योजना में गड़बड़ी उसे बनाया उधमपुर पंचायत का जांचकर्ता

सुपौल। छातापुर प्रखंड में संचालित विकास की योजनाओं में अनियमितता किसी एक पंचायत की हकीकत नहीं है। प्रायः पंचायतों में गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ हो रहा है और सब कुछ जानकर भी निगरानी व निगेहबानी के लिए जिम्मेदार चुप्पी साधे रहते हैं। नियम कायदे को लेकर शोर मचता रहता है, चर्चा होती रहती है और शिकायतें भी की जाती‌ है, लेकिन चुप्पी साधने वालों के‌ कानों‌ पर जूं नहीं रेंगती। हिमाकत ऐसी कि वरीय पदाधिकारियों का हवाला देने के बावजूद इनकी बेफिक्री मेलफांस के फसाना को उजागर कर जाती है। बीते 10 दिनों से प्रखंड के उधमपुर पंचायत में संचालित योजनाओं में हुई अनियमितता की चर्चा जोरों पर है। व्यापक पैमाने पर हुई अनियमितता की शिकायती पत्र लेकर पंचायत के वार्ड सदस्यों ने बीपीआरओ से कार्रवाई की मांग की है। ये अलग बात है कि पांच सदस्यीय टीम गठित कर योजना स्थलों की जांच भी हुई, लेकिन खुलासा अब तक नहीं हुआ और न ही दोषियों को चिह्नित ही किया जा सका है। लेकिन उधमपुर पंचायत के योजनाओं की जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय टीम में शामिल एक पंचायत सचिव की गुरुवार को झखाड़गढ से एक नई कहानी सामने आई। झखाड़गढ पंचायत के वार्ड नंबर नौ में एक पीसीसी सड़क की ढलाई हो रही है जिसके उक्त पंचायत सचिव महोदय अभिकर्ता बताए जा रहे हैं। श्रीमान को उधमपुर के योजनाओं की जांच की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिन्हें जांचकर्ता बनाया गया उन्हीं के योजना स्थल पर बोर्ड का अता पता नहीं है। इतना ही नहीं योजना पूर्णता की ओर अग्रसर है और कार्य इसी गति से चलता रहा तो संशय नहीं कि दो चार दिनों में पूर्ण भी हो जाएगा। लेकिन कार्य अंतिम चरण में रहने के बावजूद बोर्ड का नहीं लगाया जाना किस ओर इशारा कर रहा है। वह तब जबकि कार्यारंभ से पूर्व स्थल पर बोर्ड लगाए जाने की अनिवार्यता है।वहीं झखाड़गढ के योजना स्थल पर एक और कहानी नजर आई जहां लोकल सफेद बालू को लाल बालू की चादर ओढ़ाई गई थी और उसी मिलावटी बालू को ढ़लाई में खपाया जा रहा था। विचारणीय है कि जो अभिकर्ता खुद ही योजना में कायदे की परवाह नहीं कर गड़बड़ी कर रहा हो‌ उसे उधमपुर पंचायत के योजनाओं का जांचकर्ता कैसे बना दिया गया! वार्ड सदस्यों से शिकायती पत्र मिलने के बाद बीपीआरओ ने 16 सितंबर को कार्यालय ज्ञापांक 108 जारी कर पंचायत सचिव मकसूद आलम, तकनीकी सहायक प्रभात रंजन व राजीव कुमार, लेखापाल सह आईटी सहायक भास्कर कुमार एवं अश्विनी कुमार को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। ऐसे में जांच की निष्पक्षता पर सवाल लाजिमी है। झखाड़गढ के बारे पूछने पर संबंधित तकनीकी सहायक सत्येन्द्र कुमार ने बताया कि वार्ड नंबर नौ में दो चरण में सड़क का निर्माण हो रहा है। पहले चरण में 15वीं वित्त मद से सड़क का निर्माण हुआ। लेकिन नहर तक सड़क पहुंचे इसके लिए षष्ठम वित्त मद से कार्य प्रगति पर है। बताया कि दोनों योजनाओं में तकरीबन 12 लाख की राशि व्ययगत है। यह पूछने पर कि स्थल पर बोर्ड अब तक क्यों नहीं लगाया गया तो बताया कि बारंबार ताकीद करने के बावजूद बोर्ड नहीं लगा‌ रहे। आश्वस्त किया कि एक दो दिन में बोर्ड लगवा दिया जाएगा। मिलावटी रेत के प्रयोग पर कहा कि मैं अभिकर्ता से बात करता हूं।







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