फ़ारबिसगंज (राज टाइम्स)
कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है । इस विषम परिस्थिति में मरीजों को इलाज से लेकर दवाओं की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है । लेकिन इन परिस्थितियों के बीच भी लोगों के जेहन में कोरोना संक्रमितों के स्वस्थ होने की उम्मीदें बंधी हैं ।
पर्यावरण दिवस पर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बारे में चर्चा करते हुए अररिया स्थित ओमनगर के प्रसिद्ध वास्तुविद सह उच्च विद्यालय भंसिया के शिक्षक निरंजन कुमार ऊर्फ रोनू बताते हैं कि कोरोना महामारी शरीर से अधिक मस्तिष्क पर प्रहार कर रहा है । देखा जा रहा है कि इस कोरोना काल में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया आदि पर कोरोना संबंधित समाचारों की सैलाब सी आ गई है । ऐसा लगता है, जैसे अब कोरोना महामारी के अलावे अन्य कोई खबर ही नहीं है । लगातार एक ही तरह का नकारात्मक खबरों को सुनकर या पढ़कर भी लोगों के मनो - मस्तिष्क में महामारी का खौफ बैठ गया है । उन्होंने बताया कि मनोवैज्ञानिक रुप से किसी के भी मन में बार बार नकारात्मक विचारों का ज्वार भाटा उठने से शरीर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है । ऐसे आलम में लोग मानसिक रुप से भी बीमार महसूस करने लगता है । फिर धीरे धीरे वही मानसिक तनाव बीमार कर देता है ।
निरंजन कुमार रोनू ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी है । लेकिन उसका निदान भी है । जब से कायनात बनी है, हर तीस साल पर कोई न कोई वैश्विक महामारी हुआ है । उसका कारण है, जनसंख्या असंतुलन एवं असुरक्षित पर्यावरण । कोरोना महामारी पर विजय पाने के लिए मस्तिष्क को शांत और स्वस्थ रखना जरुरी तो है ही । जनसंख्या नियंत्रण के साथ साथ पर्यावरण की सुरक्षा ज्यादा जरूरी है । जिससे महामारी पर नियंत्रण आसान होगा ।
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