सुपौल (राज टाइम्स). बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने ही विभाग के आला अधिकारीयों के निदेश की खुलकर अवहेलना कर रहे है. बताते चलें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख़्य सचिव आर.के. महाजन द्वारा दिनांक 28 मार्च 2020 को जारी पत्र में बिहार के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया था कि वे उन गैर हडताली शिक्षकों को जिनके द्वारा वार्षिक इंटरमीडियट परीक्षा एवं वार्षिक माध्यमिक परीक्षा मे वीक्षण व मुल्यांकन (एमपीपी) का कार्य किया गया था उन्हे 31 मार्च तक वेतन का भुगतान करते हुए विभाग को सूचित करें.
लेकिन सुपौल जिला के सदर प्रखंड में हालात यह है कि विभाग के कानों पर जू तक नहीं रेंगी. शिक्षकों द्वारा कई बार विभाग के चक्कर लगाने के बाद उन्हे फरवरी माह का वेतन दो किश्तों मे (16 दिनों एवं 13 दिनों का) भुगतान किया गया वह भी मई के अंतिम सप्ताह मे. मामला यहीं खत्म नहीं हुआ, विभाग द्वारा मार्च माह का वेतन भुगतान नहीं किया गया किंतु मई के अंतिम सप्ताह में ही अप्रैल माह के वेतन का भुगतान भी कर दिया गया.
मार्च माह के वेतन के लिए शिक्षकों द्वारा कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते वे थक गये है लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई सुनवाई नही हो रही है. यह केवल शिक्षकों के वेतन का ही मामला नहीं है बल्कि आलाधिकारियों के आदेश की भी तिरस्कार है.
शिक्षकों का कहना है कि बार बार कार्यालय जाने पर अधिकारियों द्वारा निलम्बित किये जाने की भी बात कही गई है. अब शिक्षक कार्यालय का चक्कर लगाने से कतरा रहे हैं. हालांकि जब इस विषय मे शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना रजनीकांत प्रवीन से सम्पर्क कर कितने गैर हडताली शिक्षकों का वेतन भुगतान माह फरवरी और मार्च का किया गया तो उन्होने संख्या बताने में असमर्थता जताई और कहा कि वे आज छुट्टी पर हैं.

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