नेपाल भूकम्प (फाइल फोटो)
नेपाल डेस्क (राज टाइम्स) । नेपाल में पाच वर्ष पूर्व आये भूकम्प की याद आज भी हिन्दी तारीख बिक्रम संवत बैसाख 12 गते को याद कर लोगो के मन मे सिहरन पैदा हो जाती है। नेपाल में आये उस प्रलयकारी भूकम्प के कल्पना से ही लोग कांप जाते है।
नेपाल में शनिवार को आम तौर लोग सुबह से परिवार के साथ घूमने निकलते है। सप्ताहिक छुट्टी होने से लोग अपने परिवार के साथ पशुपति, धरहरा सहित अन्य स्थानों में लोग भारी संख्या में मौजूद थे। नेपाली समय अनुसार 11:56 मिनट मे धरती हिली लोग जब तक कुछ समझ पाते तब तक चारो तरफ चीख पुकार मच गई। सड़क फट गई, कई बिल्डिंग रेत के ढेर में तब्दील हो गई।
उस वक़्त की जानकारी साझा करते हुए भारत नेपाल सामाजिक संस्कृति मंच के अध्यक्ष सह पत्रकार राजेश कुमार शर्मा बताते है कि भूकम्प के झटके आने के साथ ही नेपाल के सभी संचार माध्यम ठप्प हो गई। चारो तरफ तबाही का मंजर था। प्रशासनिक अधिकारी व बचावकर्मियों के पास में सबसे बड़ी समस्या सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों को चिन्हित कर बचाव कार्य को चलाना था। भूकम्प के झटके भारत मे भी महसूस किये गए थे। इस घटना के बाद नेपाल में अपनो का हाल जानने के लिए भारत में काफी संख्या में लोग ब्याकुल थे।
रेडियो एफ एम स्टेशन ने निभाई अहम भूमिका
कुछ घंटों के मसक्कत के बाद तराई के एफ एम स्टेशन के द्वारा लोगो को काठमांडू में हुए भूकम्प से नुकसान की जानकारी दी जाने लगी। लोग अपने लोगों की जानकारी रेडियो के माध्यम से लेने लगे। तकरीबन 4 घंटे के बाद मोबाईल बीटीएस वेन के जरिये मोबाइल नेटवर्क को चालू किया गया। लेकिन कई दिनों तक लोग नेटवर्क ओवरलोड से के समस्या से जूझते रहे।
काठमांडू से नजदीक भूकम्प के केंद्र होने से हुआ ज्यादा नुकसान
भूविज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप का केंद्र काठमांडू से 80 किलोमीटर दूर लमजुंग में था नेपाल में पहला झटका 11 बजे करीब एक मिनट तक महसूस किया गया। केंद्र के मुताबिक रियक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.9 मापी गई। दूसरा झटका करीब 40 मिनट बाद आया। इसकी तीव्रता 6.6 मापी गई। इसका केंद्र नेपाल में पोखरा के आसपास था।
पशुपतिनाथ मंदिर रहा सुरक्षित
काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर बिल्कुल सुरक्षित रहा। लोगों का मानना है कि में दैवीय शक्ति की महिमा यह थी कि मंदिर का इलाके इतने भारी भूकंप में बिलकुल सुरक्षित रहा। नेपाल की पुरानी और लोकप्रिय इमारत/ धरोहरा इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुई लेकिन पशुपति नाथ मंदिर को इस भूकंप से कोई क्षति नहीं हुई है।
दिल्ली में बुलाई गई थी आपात बैठक
सबसे ज्यादा तबाही काठमांडू के पाटन दरबार मे हुई। नेपाल हुए भीषण तबाही की जानकारी मिलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में 3 बजे मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई। चूंकि इस आपदा के दौरान नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री सुशील कोइराला नेपाल से बाहर थे तो प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के उस वक़्त राष्ट्रपति रहे राम बरन यादव से बात की।
दर्जनों लोग काठमांडू के मुख्य अस्पताल में भर्ती कराए गए। नेपाल की राजधानी में कई इमारतों धराशायी हो गईं थी, इसमें कई पुराने मंदिर भी थ। हजारो लोगो की मौत हो गई थी, वही हजारो लोग घायल हो गए थे। नेपाल के साथ-साथ समूचे उत्तर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश मे भी भूकंप के झटके महसूस किये गये।
नेपाल भूकम्प (सभी फाइल फोटो)
नेपाल भूकम्प (फाइल फोटो)
नेपाल भूकम्प (फाइल फोटो)
नेपाल भूकम्प (फाइल फोटो)






























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