इस कोरोना महामारी को लेकर सब कुछ उथल पुथल हो
चुका है. आम जन मानस के साथ साथ देश की आर्थिक स्थिति भी चरमराई है. कारण यह है की
राजस्व से जुड़ा कोई भी कार्य नही हो रहा है इसलिए यह स्थिति होना स्वाभाविक है. इस आर्थिक तंगी और
बदहाली से हम सब मिलकर लड़ेंगे और निपटेंगे भी और फिर जीतेंगे भी. मैं इतने आत्मविश्वास
से जीतने की बात इसलिए कह रहा हूँ कि भारत कृषि प्रधान देश है और यहां पर किसान को
नफा कम,
नुकसान ज्यादा होता रहा है और उस नुकसान की भरपायी भी किसान जैसे
तैसे 19-20 करके कर ही लेता है और आगे भी कर ही लेगा.
खैर मै इस पोस्ट को
करने का मूल वजह पर आता हूँ. मैं इस महामारी के शुरुआत होने से लेकर आज तक कि स्थित पर गौर करने को कह रहा हूँ. यह कि
इस महामारी में डोनेट/ दान करने
को लेकर तरह तरह का पोस्ट, पेज, ग्रुप सोशल मीडिया पर तैर रहा
है. आप सोशल मीडिया पर गौर फरमाएंगें तो पाएंगे की ना जाने सैकड़ों कथित संगठन
कोरोना पीड़ित को सहायता करने के नाम पर सोशल मीडिया पर पोस्ट को ट्रेंड करवा रहा
है, पेज को बूस्ट (बूस्ट मतलब- वह पेज/ ग्रुप जो हर 5 मिनट
में आपके सोशल अकाउंट पर दिखेगा) करवा रहा है. पेज पर कुछ अलग अलग गरीब लाचार या
अन्य त्रासदी की तस्वीर लगाकर आम जन से डोनेशन करने को कहा जा रहा है. जहां पर आप
देखेंगे कि कुछ कमेंट में यह भी दिखेगा की किसी ने ईवैलेट से 5 रुपया डोनेट किया
तो किसी ने 10, 20, 50, 100 या फिर हजार. कहने का मतलब यह है कि आज हर कोई इवैलेट
इस्तेमाल करता है और वह यह देखता है कि किसी ने 5 रुपया ही डोनेट किया है. तो आपकी
मानसिक स्थिति यह अवश्य बनेगी की चलो नही कुछ तो 5 रु या 2 रु ही या 10 रु ही दे
दो. इतना देने से क्या कम हो जाएगा और आप डोनेट कर दे रहे है. हैरत की बात ये है कि
जिस संगठन का नाम आपने कल तक सुने भी नही थे, जिसका कल तक
अता पता नही था, आज वह संगठन अपने आप को सबसे बड़ा समाज सेवा
करने, पीड़ित को मदद करने, खाना नास्ता
कपड़ा या कोई अन्य सामग्री देने का पोस्टर बैनर अपने पेज पर लगाकर ऑनलाइन बड़े बड़े
विज्ञापन चला रहा है की आप भी डोनेट कीजिये. यदि थोड़ा और दिमाग पर जोर देंगे तो यह
भी याद आएगा की जब कभी बाढ़, भूकम्प,त्रासदी,
आपातकाल स्थिति बनी है चाहे वह देश के किसी भी कोने में क्यों न हो,इस तरह का कथित और फर्जी संगठन का डोनेशन वाला पेज रन करने लगता है. इसमे
कुछ ऐसे भी संगठन है जो रिजस्टर्ड है, कानूनी सबकुछ सही है
लेकिन वह काम कहीं नही कर रहा और विषम परिस्थितियों में उसका डोनेशन पेज ट्रेंड कर
रहा है. मूल बात यह है की क्या आपने सोशल मीडिया पर विज्ञापन करने वाले किसी एक भी
कथित संगठन को राहत बचाव कार्य करते देखा है? 100% ना मैंने
देखा है और ना आपसब ने देखा होगा. दरअसल यह एक बड़ा रैकेट है, जिसपर किसी की नजर नही जा रहा है, जो सोशल साइट पर
आमजन को गुमराह कर 5 रु से लेकर हजारों लाखों का डोनेशन ले रहा है और रफूचक्कर हो
रहा है. इस गौरखधंधे में कुछ बड़े बड़े रजिस्ट्रेशन प्राप्त संगठन भी है जैसे गूंज, नारायण और न जाने ऐसे कितने, जो वर्ष 2017 में आये
बाढ़ में भी बरसाती मेढ़क की तरह दिखा और उसके बाद अब फिर इस कोरोना महामारी के बीच
मे दिख रहा है. जैसे पहले बच्चे से भीख मंगवाने का गिरोह था वैसे आज ये सोशल मीडिया
पर सक्रिय है. क्योकि कोई 2 रु ही डोनेट कर रहा है तो वह क्या जानकारी लेना चाहेगा
कि क्या है, कौन है और कहाँ का है. मतलब की यह बहुत बड़ा धंधा और नया धंधा है जो
आसानी से अपना गैंग को ऑपरेट कर रहा है. चुकी ई-मार्केटिंग का ये धंधा है तो
इसमें बड़े बड़े सफेदपोश लोग शामिल होंगे.
इस गौरखधंधा का सरकार प्रशासन को भनक तक नही है. खासकर सरकारी आईटी सेल को इसपर
ध्यान देना चाहिए और विपदा के बीच मे सोशल साइट्स पर तैर रहे ये बरसाती मेढ़क (कथित
फर्जी संगठन) पर शिकंजा कसा जाना चाहिए.
प्रसेनजीत कृष्ण,आरटीआई एक्टिविस्ट सह अध्यक्ष, बिहार विकास युवा
मोर्चा,अररिया✍
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