चांद का हुआ दीदार,पहला रोजा आज से
राज टाइम्स । अररिया
रमजान उल मुबारक का चांद नजर आया और आज से रमजानुल मुबारक का पाक महीना शुरू हो गया है, इसके लिए अभी से ही वह सारी काम निपटा लें,जो रमजान के दिनों में अक्सर लोग करते हैं। चूंकि यह अल्लाह का खास बरकत वाला महीना है। इस पाक बाबरकत वाली महीने में सिर्फ और सिर्फ इबादत का ही मकसद होनी चाहिए। रमजानुल मुबारक का महीना शुरू होने वाली है, उसका हमलोग अभी से ही तैयारी शुरू कर दें। इस माह में ज्यादा से ज्यादा कुरआन पाक की तिलावत करनी चाहिए। उक्त बातें भरगामा प्रखंड अंतर्गत वीर नगर विशहरिया पंचायत स्थित मदनी नगर में मदरसा दारूल उलूम फैज ए रहमानी के संस्थापक अध्यक्ष मुफ्ती मो आरिफ सिद्दीकी साहब ने रमजान शरीफ के आमद पर कही।
उन्होने कहा कि सखी वह शख्स है, जिसने इल्म दीन सीखा और फैलाया। उन्होनें कहा कि हमेशा हक की आवाज को बुलंद करें, अगर आप हक की आवाज बुलंद करेंगे, तो कोई आपकी गर्दन नहीं मार देगा और अगर गर्दन कट भी जाती है तो शर्म की क्या बात है। एहसास शुक्र के साथ अल्लाह के दरबार में पहुंच जायेंगे। कभी दुख में आंसू ना बहावे, क्योंकि आप वह खुश नसीब हो जिसे अल्लाह ने आजमाइश के काबिल समझा।
मुफ्ती आरिफ साहब ने कहा कि एक अल्लाह से डरें, लोगों से डरना छोड़ दें क्योंकि रिज्क (रोजी) किसी के हाथों में नहीं है। अल्लाह ताला जिसे चाहते हैं, बेहिसाब देते हैं। घमंड, अहंकार से दूर रहें। चूंकि अहंकार मुक्त जीवन खुशियों का आधार है। अहंकार का विसर्जन एवं दुर्गुणों को छोड़ना मानव जीवन का सबसे बड़ा सद्गुण है। जीवन मूल्यों को अपने जीवन में उतारने के लिए निरंतर सीखते रहना चाहिए। जीवन के हर पहलू में समानता का हर पहलू रखे। किसी प्राणी का मजाक न उड़ाएं। अपनी उपलब्धियों का बखान न करें। सब के साथ समानता व योग्यता के साथ विनम्रता रखें।
उन्होंने कहा कि कठिनाइयों से कभी नहीं घबराना चाहिए, क्योंकि सितारे हमेशा रात में ही चमकते हैं। रमजान में तहज्जुद नमाज का एहतमाम करें। उन्होंने कहा कि गीबत चुगली से परहेज करें। हमेशा तिलावत व अल्लाह का जिक्र करते रहें। उन्होनें कहा कि वजू से शक्ल (रूप), कुरआन से अकल और नमाज से नस्ल पाक होती है। सदका करते रहने से उम्र बढ़ती है, दुआ से बिगड़ी काम भी संवर जाते है इसलिए अल्लाह से खूब दुआ मांगनी चाहिए। हर शख्स के लिए दीनी तालीम जरूरी है। मुदर्रिसे इस्लामिया, इस्लाम के मजबूत किले हैं। इसलिए रमजान के पाक माह में मदरसे के लिए आर्थिक रूप से ख्याल रखें। तराविह की नमाज सुकून से सुनें और अदा करें। इमाम के साथ ही तरावीह की नमाज का नियत कर हाथ बांध लें और इमाम साहब के साथ ही शुरू करें। तरावीह की नमाज को मजाक ना बनाएं। अल्लाह ताला जजाए खैर अता फरमाए आमीन।
कोई टिप्पणी नहीं