Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News

latest

Life Style- आखिर पैरों में सोने के आभूषण क्यों नहीं पहने जाते ? आपको आज हम बताते हैं इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण


सेंट्रल डेस्क (राज टाइम्स)

आभूषण महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं, इसलिए ज्यादातर महिलाएं इसे पहनती हैं। परन्तु गौरतलब है कि ज्यादातर महिलाएं सोने के जेवरात को सिर से लेकर गले, हाथ और कमर तक ही पहनती हैं। पैरों में आभूषणों के नाम पर चांदी की पायलें और बिछिए पहने जाते हैं। ये देखकर कई बार आपके भी मन में प्रश्न उठता होगा कि आखिर पैरों में सोने के आभूषण क्यों नहीं पहने जाते ? आपको आज हम बताते हैं इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण....

दरअसल आयुर्वेद में एक कहावत है- सिर गरम, पेट नरम, पैर ठन्डे, ये एक स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण होते हैं। वहीं अगर आभूषणों की बात करें तो सोना गर्म और चांदी ठंडी प्रकृति की होती है। अर्थात पैरों को शीतलता देने के लिए ठंडी प्रकृति की चांदी पहनी जाती है, जिससे पैर शीतल रहते हैं पैरों की ये शीतलता हमारे शरीर को अत्यधिक प्रभावित करती है। पैरों को शीतल रखने के लिए रात के समय सोने से पहले पैरों को धोने का रिवाज भी हमारे घरों में है। अनुभव भी कहता है कि जब कभी किसी कारण से पैरों में जलन होने लगती है तो नींद नहीं आती। उलझन बढ़ जाती है, बेचैनी होती है।  

ऐसे में शीतल चांदी की पाजेब पहनकर महिलाएं तमाम तरह की बीमारियों से बची रहती हैं। एक और बात है कि चांदी का तत्व शीतल होता है जो शीतलता भी प्रदान करता है। इसके अलावा चांदी के आभूषण चलते समय या काम करते समय पैरों से रगड़ते रहते हैं, इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। पहले के समय में पुरुष और स्त्रियां दोनों ही आभूषण पहनते थे, लेकिन आजकल ज्यादातर ये चलन महिलाओं तक सीमित हो गया है।

इसका धार्मिक कारण ये है कि भगवान नारायण को पीला रंग प्रिय है, इस वजह से सोना उनकी प्रिय धातु मानी जाती है। वहीं सोने को माता लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है। ऐसे में यदि इसे पैरों में धारण किया जाए तो इसे मां लक्ष्मी और नारायण का अपमान माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पैरों में सोना न पहनने के बारे में कहा गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति को जीवन में तमाम आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है।

कोई टिप्पणी नहीं