प्रमोद यादव(सुपौल,राज टाइम्स)
कुशहा त्रासदी में यदि सबसे अधिक कोई परेशान रहा था,तो वह कोसी के इलाके का आम किसान था।उस समय किसानों के खेतों में आमतौर पर 4 से 5 फीट बालू भर गया था, जिसके कारण खेती करना संभव ही नहीं हो पा रहा था। सुबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी घोषणा की थी कि सरकारी खर्चे पर किसानों के खेतों से बालू हटाया जाएगा और खेतों को खेती के उपयुक्त बनाकर किसानों की मदद की जाएगी। वहीं आज जो किसान अपने खेतों से बालू निकालकर अन्यत्र भेजने का काम कर रहे हैं ,तो उन पर पुलिसिया कार्रवाई हो रही है। इस बाबत बिहार के वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू ने बीरपुर थानेदार की जमकर क्लास लगाई और उन पर थाने में मामला दर्ज करने तक की हिदायत दे डाली। हाल के दिनों बीरपुर थाना अध्यक्ष इंस्पेक्टर दिनानाथ मंडल के द्वारा कार्रवाई करते हुए बालू लदे आठ ट्रैक्टर के चालक एवं सहयोगीयों को जेल भेज दिया गया था।
वीरपुर में मौजूद वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू के समक्ष मोहनपुर,बनैली पट्टी,ब्रम्हपुर,हृदयनगर,सीतापुर से आये किसानों ने बीरपुर थाना अध्यक्ष के खिलाफ जमकर शिकायत की, जिसके बाद मंत्री ने थानाध्यक्ष को तलब कर जमकर खरी-खोटी सुना दी। वहीं बीरपुर थाना अध्यक्ष इंस्पेक्टर दीनानाथ मंडल का कहना था कि खनिज विकास पदाधिकारी के पत्र के आलोक में ही सफेद बालू ढ़ो रहे, बिना नंबर प्लेट के कई गाड़ियों को सीज कर कार्यवाही की गई थी। जिसके बाद वन मंत्री ने सुपौल के जिला पदाधिकारी महेन्द्र कुमार से बात की। जिला पदाधिकारी का भी मानना था कि नदी और सरकारी जमीन से बालू की खुदाई पर रोक लगाई गई है, अलबत्ता कोई भी किसान यदि अपने खेतों से बालू निकालते हैं तो उस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
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