वीरपुर(सुपौल)(राज टाइम्स)
स्वास्थ बिभाग की लापरवाही सेआजादी के 75 वे वर्ष में भी बुनयादी स्वास्थ सेवाओं के लाभ से आज भी बंचित हैं लोग
हम आने वाले 15 अगस्त को आजादी की 75वी वर्षगांठ मना रहे हैं परन्तु इस आजादी का मतलब आज भी आम आदमी जो ग्रामीण इलाकों में रहकर खेती किसानी या मजदूरी हो या फिर जीवन को चलाने के लिए छोटा मोटा कारोबार कर अपना या अपने परिवार का पेट भरता हैं इन जैसे परिवारों को बड़ी बीमारी को कौन कहे उसमें तो राम नाम सत्य है या फिर भगवान का ही भरोसा होता हैं ।
परंतु छोटी मोटी बीमारियों में भी आज भी स्वास्थ सुबिधा इनसे कोशो दूर है फिर भी यदि बीमार के परिजन अपनी जमीन गिरवी रख माल-मवेशी बकरी चकरी बेच या महाजन से सूद पर उधार लेकर शहर की अस्पतालों की ओर रुख भी करते है तो वहाँ इलाज के नाम पर बैठे जल्लाद,दलाल ,गैर जरूरी जांच ,गैर जरूरी दवा से उनका सामना होता हैं, सबकुछ गवा कर भी बेहतर इलाज नहीं मिल पाता हैं । सब कुछ भगवान भरोसे हैं ।
परंतु छोटी मोटी बीमारियों में भी आज भी स्वास्थ सुबिधा इनसे कोशो दूर है फिर भी यदि बीमार के परिजन अपनी जमीन गिरवी रख माल-मवेशी बकरी चकरी बेच या महाजन से सूद पर उधार लेकर शहर की अस्पतालों की ओर रुख भी करते है तो वहाँ इलाज के नाम पर बैठे जल्लाद,दलाल ,गैर जरूरी जांच ,गैर जरूरी दवा से उनका सामना होता हैं, सबकुछ गवा कर भी बेहतर इलाज नहीं मिल पाता हैं । सब कुछ भगवान भरोसे हैं ।
ऐसा नही की इन आजादी के 75 वे वर्षो में स्वास्थ सुबिधा के नाम पर कुछ नहीं हुआ लगभग 20 वर्ष पूर्व की बात आज के बुजुर्ग देवनारायण खेरवार,कुमार शचीन्द्र सिंह,डॉक्टर बिके सिंह कहते हैं कि सरकार द्वारा प्रत्येक पंचायत स्तर पर स्वास्थ उपकेंद्र की व्यबस्था बहाल की गई थी जिसमें समय -समय पर डॉक्टर का दौरा होता था और चौबीसों घँटे नर्स और कम्पाउंडर ,ड्रेसर होता था जो ग्रामीण इलाके के लोगों का प्राथमिक उपचार के साथ ही टीका लगाने के अलावे गर्भवती महिलाओं का प्रसव भी करवाया जाता था ज्यादा सीरियस मरीजों को ही बेहतर इलाज के लिए शहर के अस्पतालों में भेजा जाता था । यह स्वास्थ उपकेंद्र प्रखंड मुख्यालय में चलनेवाले पीएचसी के अधीन होता था जो आज पिछले कई वर्षों से बसंतपुर प्रखंड मुख्यालय की जगह भीमनगर पंचयात के स्वास्थ उपकेंद्र में चलाया जाता हैं जहां भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है जनसख्या बेहिसाब बढ़ गई परन्तु इस पीएचसी में आज भी मरीजों के लिए मात्र 6 बेड हैं
डॉक्टर की बात की जाय तो दो एमबीबीएस हैं जिसमें एक प्रभारी डॉ अर्जुन चौधरी है जिनका पूरा समय मीटिंग में ही बीतता है दूसरे डॉ मयंक रंजन से थोड़ा बहुत इलाज ओपीडी में लोगों को मिलता है दो डॉक्टर आर्युबेद और यूनानी के है परन्तु इलाज अंग्रेजी दवा से करते हैं ऐसे में मरीजों को जैसा ईलाज मिलता हो यह भगवान ही जाने ,ऐसे में यह अंदाजा लगाना सहज है कि जब पीएचसी ही मरीज से ज्यादा बीमार हैं तो स्वास्थ उपकेंद्र की हालत क्या होगी ।
डॉक्टर की बात की जाय तो दो एमबीबीएस हैं जिसमें एक प्रभारी डॉ अर्जुन चौधरी है जिनका पूरा समय मीटिंग में ही बीतता है दूसरे डॉ मयंक रंजन से थोड़ा बहुत इलाज ओपीडी में लोगों को मिलता है दो डॉक्टर आर्युबेद और यूनानी के है परन्तु इलाज अंग्रेजी दवा से करते हैं ऐसे में मरीजों को जैसा ईलाज मिलता हो यह भगवान ही जाने ,ऐसे में यह अंदाजा लगाना सहज है कि जब पीएचसी ही मरीज से ज्यादा बीमार हैं तो स्वास्थ उपकेंद्र की हालत क्या होगी ।
सर्वदलिये संघर्ष समिति के सचिब श्री लाल गोठिया ,रामेश्वर यादब ने बताया कि बसंतपुर प्रखंड के पूर्व प्रमुख स्व अधिकलाल खेरबार जी ने वीरपुर बथनाहा एसएच 91के सटे बसंतपुर पंचायत के अमृतचौक के पास 50 डिसमल अपनी जमीन दी जिसमें स्वास्थ उपकेंद्र खुला भी लोगों को ईलाज भी मिलता था परन्तु पिछले 10 वर्षों से इलाज तो दूर यह उपकेंद्र खुद खंडहर में तब्दील हो गया और लोग कहते हैं कि यहां मरीज के रूप में सांप निवास करता हैं और डॉक्टर के रूप में नेवला उसका इलाज करता हैं ।
भगवानपुर पंचायत के पूर्व मुखिया उमेश प्रशाद मेहता ,पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि शुशील मेहता कहते हैं कि स्वास्थ उपकेंद्र भगवानपुर पंचायत जो एनएच 106 के किनारे है जिस रास्ते से जिला के आला पदाधिकरियों का अनजाना होता हैं परन्तु उसमें मरीजों के ईलाज के बदले जलाबन रखा जाता है और मवेशी बाधी जाती है यही हाल रतनपुरा के पास ढांढा स्थित रेफरल अस्पताल का है जहां पहले एसएसबी निवास करती थी आज गिट्टी बालू की दुकान चलती है ।यदि मरीजो को स्वास्थ सुबिधा देने की जिम्मेवारी वाली इन केंद्रों की बीमार हालत को लिखने बैठ जाऊ तो शायद लिखते -लिखते खुद बीमार हो जाऊं ।यह तो स्वास्थ व्यबस्था की लचर व्यबस्था को आइना दिखाने का एक बानगी भर हैं । जबकि केरोना कि तीसरी लहर मुँहबाये सामने खड़ी है स्वास्थमंत्री जो स्वास्थ सुबिधा को लेकर बड़ी -बात करते हैं ।
भगवानपुर पंचायत के पूर्व मुखिया उमेश प्रशाद मेहता ,पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि शुशील मेहता कहते हैं कि स्वास्थ उपकेंद्र भगवानपुर पंचायत जो एनएच 106 के किनारे है जिस रास्ते से जिला के आला पदाधिकरियों का अनजाना होता हैं परन्तु उसमें मरीजों के ईलाज के बदले जलाबन रखा जाता है और मवेशी बाधी जाती है यही हाल रतनपुरा के पास ढांढा स्थित रेफरल अस्पताल का है जहां पहले एसएसबी निवास करती थी आज गिट्टी बालू की दुकान चलती है ।यदि मरीजो को स्वास्थ सुबिधा देने की जिम्मेवारी वाली इन केंद्रों की बीमार हालत को लिखने बैठ जाऊ तो शायद लिखते -लिखते खुद बीमार हो जाऊं ।यह तो स्वास्थ व्यबस्था की लचर व्यबस्था को आइना दिखाने का एक बानगी भर हैं । जबकि केरोना कि तीसरी लहर मुँहबाये सामने खड़ी है स्वास्थमंत्री जो स्वास्थ सुबिधा को लेकर बड़ी -बात करते हैं ।
स्थानिए बिधायक सह वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू ने कारोंना की दूसरी लहर के बीच पीएचसी भीमनगर और अनुमंडल अस्पताल वीरपुर का दौरा किया था
उनके दौरा के दौरान स्थानिए लोगों के साथ ही स्वास्थकमियों ने पीएचसी की बदहाल व्यबस्था की ओर उनका ध्यान आकृष्ट करवाया था साथ ही वीरपुर अनुमंडल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने बेंटिलेटर की मांग की थी ,लोगो की मांग पर उनके द्वारा अबिलम्ब भवन की स्थिति में सुधार करवाया गया साथ ही अपने विधायक निधी से दिनांक 2/5/2021 को जिला योजना पदाधिकारी सुपौल को एक सौ ऑक्सीजन सिलिंडर ,चार वेंटिलेटर की आपूर्ति के साथ ही ऑक्सीजन प्लांट वीरपुर अनुमंडलीय अस्पताल में लगाने के लिए पत्र लिखा था जिसपर अबतक कोई करवाई नही हुई है ।
इन मुद्दों पर पर पूछने पर सिविल सर्जन डॉ इंद्रजीत प्रशाद कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि यह स्वास्थ उपकेंद्र कहॉ हैं मैं प्रभारी डॉ अर्जुन चौधरी से बात करता हूं ।पता करता हूं फिर बताऊंगा ।
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