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बिहार- लॉकडाउन का पर्यावरण पर असर, स्वच्छ हुई शहर की आबोहवा



जोगबनी (राज टाइम्स)। कोविड 19 के कहर के बीच लॉकडाउन होने के वजह से देश कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है लेकिन दूसरी तरफ इससे पर्यावरण स्वच्छ हो रहा है। सड़क पर गाड़ियों की कतारें,  धुंआ उगलती फैक्ट्रियां, धूल बिखेरते निर्माण कार्य हमारे शहरों के विकास की पहचान बन गई थी। इन सब ने हमारे शहरों की हवा को कितना जहरीला और नदियों को कितना प्रदूषित किया यह हम सब जानते हैं। अब लॉक डाउन से  पर्यावरण का जो सुधार हुआ है वह भी देखने योग्य है।

लोगों ने न ऐसी साफ-सुथरी हवा पिछले कई दशकों से महसूस की और न ही ऐसा मनमोहक नीला आकाश देखा है। तमाम सरकारी और गैर-सरकारी कोशिशें भी वह नहीं कर सकीं जिसे कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने कर दिखाया। आज आबोहवा पूरी तरह बदल चुकी है। कोरोना संक्रमण काल के कारण एक तरफ जहाँ मानव जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है वहीं दूसरी तरफ यह प्रकृति के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा है। पूरी दुनिया जिस पर्यावरण की रक्षा और चिंता को ले कर बड़ी-बड़ी संगोष्ठियां कर कार्य योजनाएं बनाने के लिये अरबों रुपये भी खर्च किए गए, लेकिन फिर भी कोई हल नही निकल सका। पर इस स्थिति में पर्यावरण पर असर काफ़ी अच्छा हुआ है और सुधार आया है।

करीब सवा महीने की बात की जाए तो पता चलता है कि लॉकडाउन के कारण आम जनता को भले ही परेशानियों का सामना करना पड़ा हो, लेकिन पर्यावरण को लेकर लॉकडाउन का सकारात्मक पहलू भी सामने आया है। पूरी दुनिया में प्रदूषण का स्तर काफी कम देखने को मिल रहा है। हवा लगभग साफ हो गई है। लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में आया सकारात्मक बदलाव हमें इस बात का अहसास कराता है कि यदि प्रकृति और उसके संसाधनों का अनुचित दोहन नहीं किया जाए तो हम कई मुसीबतों जैसे बाढ़, सूखा, बढ़ते तापमान आदि से बच सकते हैं।


हर वर्ष की तुलना में इस वर्ष गर्मी कम पड़ रही है। अगर सुबह का तापमान देखा जाए तो इस मई के महीने में सुबह हल्की ठंड महसूस होती है जो दिल को सुकून देता है। बादल, बारिश के साथ ही और उत्तरी हवा के कारण ठंड महसूस होती रही।खुली आँखों से सैकड़ों किलोमीटर दूर हिमालय को नग्न आँखों से देख सकते है। अगर बीते वर्ष 2019 की बात करें तो इस समय इतनी धूप और असहनीय गर्मी होती थी जिससे मानव, जीव जंतु ब्याकुल थे। लेकिन इस समय लोगों को सुखद अनुभूति हो रही है सरकारों के साथ साथ ही हमे भी इस बात पर विचार करना चाहिए कि ऐसा क्या किया जाए जिससे साफ और शुद्ध हवा मिलती रहे और जो पर्यावरण में सुधार हुआ है वह ऐसे ही बरकरार रहे।

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