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ललितग्राम/सुपौल- विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर रात भर परोसी गई अश्लीलता, किसी ने रोका तक नहीं

  • ललितग्राम ओपी क्षेत्र के लक्ष्मीनिया पंचायत स्थित वार्ड नंबर 14 में अश्लील गीतों पर बार बालाओं ने किया डांस

सुपौल। वर्तमान परिदृश्य में चंद युवा संस्कृति और संस्कार की धज्जियां उड़ानें से भी गुरेज नहीं कर रहे। बीते 24 घंटे से जिले भर में भगवान विश्वकर्मा पूजनोत्सव की धूम रही है। जिले के विभिन्न प्रखंडों में पूजा पांडाल सजा अमर शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गई। कहीं रविवार को विश्वकर्मा पूजनोत्सव मनाया गया तो कहीं सोमवार को पूजा पांडालों में भक्तों का तांता लगा रहा। 

आयोजन को लेकर पांडालों में बड़े-बड़े साउंड सिस्टम लगाकर भगवत भजनों का शोर रहा तो कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लोगों ने आनंद लिया। ऐसे में ललितग्राम ओपी क्षेत्र के लक्ष्मीनिया पंचायत स्थित टेंगरी गांव में रविवार की रात विश्वकर्मा पूजा के अवसर का नाम लेकर पहले तो जागरण के आयोजन की बात रही। लेकिन जैसे ही कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो आर्केस्ट्रा के नाम पर बार बालाओं का अश्लील गीतों पर डांस शुरु हो गया। इस दौरान सभ्य समाज के चंद नामचीन लोगों की मौजूदगी भी रही। असभ्य युवा आपस में भिड़े भी और अश्लील गाने पर थिरके भी। इस बीच कोई उन्हें रोकने टोकने वाला न था और यह सब हो रहा था विश्वकर्मा पूजनोत्सव के नाम पर। 


पास ही बजरंगबली की प्रतिमा मंदिर में विराजित थी, लेकिन ऐसा करने वालों की फिर भी आस्था नहीं ‌जागी और रात भर अश्लीलता का पैमाना छलकता रहा। पंचायत के वार्ड नंबर 14 में सिंह टोला के समीप स्टेज सजा था और इसी स्टेज के पास आधी रात के बाद तक युवाओं की धमाचौकड़ी मचती रही। पांच सौ गज की दूरी पर ओपी पुलिस की मौजूदगी रही और ऐसा नहीं है कि उनकी गश्ती गाड़ी कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंची होगी! नियमानुसार इस प्रकार के आयोजन से पूर्व प्रशासनिक इजाजत की भी दरकार होती है जिसे अनिवार्यता में शामिल किया गया है। बावजूद किसी ने रोका नहीं। 


गौर करनेवाली बात है कि यदि आयोजनकर्ताओं ने प्रशासनिक आदेश लिया भी होगा तो इस प्रकार के अभद्र कार्यक्रम की परमिशन तो कतिपय नहीं मिली होगी, तो फिर रात भर किस बिना पर अश्लीलता परोसी गई! सुबह जागते ही चंद स्थानीय लोगों ने साक्ष्य प्रस्तुत कर पूछा कि यह कैसी भक्ति थी और ये कैसे भक्त थे जो अश्लील मनोरंजन में ईश्वर की तलाश कर रहे थे। कुछ ने तो हकीकत स्वीकारा और हुए विवाद को शांत कराने हेतु स्थल पर खुद की उपस्थिति होने की बात कही। कार्यक्रम स्थल पर जब अश्लीलता का नृत्य परोसा जा रहा था तो भीड़ में किशोर से लेकर बालकों की भी मौजूदगी बताई गई। यदि ऐसा था तो सभ्य समाज की यह गंभीर तस्वीर है, आखिरकार हम अपनी अगली पीढ़ी को किस ओर ले जाने की हिमाकत कर रहे हैं! अपने किशोर व बालकों में कैसी संस्कृति और कैसा संस्कार भर रहे हैं, सोचिएगा जरूर।


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