इन्टरनेशनल डेस्क (राज टाइम्स)। नेपाल सरकार के
द्वारा विवादित नक्शे को मान्यता देने के लिये संविधान संशोधन विधेयक को फास्ट ट्रैक
से पारित करने तैयारी चल रही है। संविधान संसोधन के प्रक्रिया में अभी तक किसी भी
दल का विरोध नही होने के कारण फ़ास्ट ट्रैक की प्रक्रिया को अपना कर पारित करने का
प्रस्ताव सरकार ने दिया है। विवादित भूमि लिम्पियाधुरा, लिपुलेक
व कालापानी को नए नक्शे में समावेश कर नेपाल के द्वारा नया नक्शा जारी करने के बाद संसद में विधेयक प्रस्तुत किया
है।
सरकार द्वारा यह
निर्णय शनिवार को विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के द्वारा केन्द्रीय कार्यसमिति की बैठक
में संविधान संशोधन के पक्ष में सरकार के साथ रहने के कारण संसोधन का विधयेक
रविवार को सदन में प्रस्तुत किया गया। रविवार को कानून, न्याय
तथा संसदीय मामले के मंत्री डॉ शिवमाया तुम्बाहाङफे के द्वारा रविवार को प्रतिनिधि
सभा की बैठक में विधेयक प्रस्तुत करने के बाद सोमवार को आम नेपालि नागरिक को
जानकारी के लिए राजपत्र व सरकारी समाचार पत्र में प्रकाशन के लिये भेजा गया है।
नेपाल के संविधान के अनुरूप सार्वजनिक सूचना जारी होने के सात दिन के बाद सांसद को
संशोधन प्रस्ताव पर अपने विचार रखने के लिये 72 घंटे के समय दिया जाएगा। इस अवधि में संसोधन प्रस्ताव पारित करने की तैयारी होने कि
बात मन्त्री डा. तुम्बाहाङफे ने कही है।
सत्तासीन नेकपा
संसदीय दल के उपनेता सुवास नेम्बाङ ने मीडियाकर्मियो को बताया कि संसोधन विधेयक
में किसी भी तरह का राजनीतिक विवाद नही रहने के कारण बिना किसी रुकावट के ही संसोधन
विधयेक आसानी से पारित हो जाएगा।
मुख्य विपक्षी पार्टी
नेपाली कांग्रेस भी संविधान संशोधन के पक्ष में रहने के कारण आवयश्क मत दो तिहाई से
ज्यादा का समर्थन मिल रहां है। कांग्रेस प्रवक्ता विश्वप्रकाश शर्मा ने भी कहा कि
फास्ट ट्रैक से विधेयक पारित के निर्णय को पार्टीको केन्द्रीय कार्यसमिति ने सहमति
दी है।
वहीं सभी की निगाहे
मधेस केन्द्रित पार्टियों पर टिकी है। हालांकि कुछ मधेसी नेता संविधान संसोधन के पक्ष
में दिख रहे है लेकिन वे इस संशोधन के पक्ष में या विपक्ष में मतदान करेंगे यह
निर्णय नहीं होने से संशय बरकरार है। इस विषय में राजपा के सांसद लक्ष्मणलाल कर्ण
ने कहा है कि ‘समाजवादी व राजपा के द्वारा वोटिंग के समय ही निर्णय किया
जाएगा कि मतदान किस तरफ करना है।
नेपाल के संविधान की
धारा 274 के पहले खण्ड के अनुसार जनहित के मुद्दे पर संविधान
संसोधन किया जा सकता है। खंड तीन के अनुसार विधेयक सदन में प्रस्तुत होने के तीस
दिन के अंदर सर्वसाधारण जनता के जानकारी के लिये सार्वजनिक रूप में सूचना प्रकाशन
करना होगा। साथ ही जनता को जानकारी देने के लिये सूचना प्रकशित होने के सात दिन के
अंदर विधेयक के ऊपर प्रतिनिधिसभा में सैद्धान्तिक बहस होने के बाद संसद को संशोधन
के लिये 72 घण्टे का समय दिया जाना है।
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